एक दिन घर से निकला,
राह में ढूँढता राहगीर,
एक कोस ही चला था ,
एक मुस्कान ने मन मोह लिया,
मेरे सपने सजने लगे,
मुस्कान के मोह में खो गया,
पर जेसे ही पेड़ की छाया को सूरज ने हटा दिया,
मुस्कान की जगह एक गंभीर छाया बन गई ,
अब तक में २ कोस आ चुका था,
मुस्कान भरा चेहरा और भी गंभीर हो गया ,
राह में ढूँढता राहगीर,
एक कोस ही चला था ,
एक मुस्कान ने मन मोह लिया,
मेरे सपने सजने लगे,
मुस्कान के मोह में खो गया,
पर जेसे ही पेड़ की छाया को सूरज ने हटा दिया,
मुस्कान की जगह एक गंभीर छाया बन गई ,
अब तक में २ कोस आ चुका था,
मुस्कान भरा चेहरा और भी गंभीर हो गया ,
मैं भी शायद थकने लगा था कि ,
बादल की किरपा से सूरज दुक सा गया था,
मुझे लगा अब सायं हो चुकी है ,
मेरे विश्राम का समय हो गया,
पर सूरज फिर आ गया,
और मुझे चलने पर मजबूर कर दिया,
अब तक मेरे साथ कुछ राहगीर आ गये थे ,
एक मेरे साथ कदम दर कदम चल रहा था,
कभी मुझे बताता तुम अकेले नहीं हो,
मैं तुम्हारे साथ हूँ ,
अब सूरज ठंडा होने लगा था,
मेरा साथी भी पीछे होने लगा था,
कुछ ने अपनी राह बदल ली थी,
कुछ छितिज पर देख रहे थे पर,
चल नही रहे थे ,
मैं आगे जा ता जा रहा था,
पर अकेला होता जा रहा था,
अब सूरज भी ढल ने लगा था,
पंछी कहीं दिख नहीं रहे थे,
सूरज ढल गया था,
रास्ता दिखना बंद हो गया था,
में भी सोचने लगा,
रुक जाऊँ,
पर किसीने कहा,
बादल की किरपा से सूरज दुक सा गया था,
मुझे लगा अब सायं हो चुकी है ,
मेरे विश्राम का समय हो गया,
पर सूरज फिर आ गया,
और मुझे चलने पर मजबूर कर दिया,
अब तक मेरे साथ कुछ राहगीर आ गये थे ,
एक मेरे साथ कदम दर कदम चल रहा था,
कभी मुझे बताता तुम अकेले नहीं हो,
मैं तुम्हारे साथ हूँ ,
अब सूरज ठंडा होने लगा था,
मेरा साथी भी पीछे होने लगा था,
कुछ ने अपनी राह बदल ली थी,
कुछ छितिज पर देख रहे थे पर,
चल नही रहे थे ,
मैं आगे जा ता जा रहा था,
पर अकेला होता जा रहा था,
अब सूरज भी ढल ने लगा था,
पंछी कहीं दिख नहीं रहे थे,
सूरज ढल गया था,
रास्ता दिखना बंद हो गया था,
में भी सोचने लगा,
रुक जाऊँ,
पर किसीने कहा,
अरे ये तुम्हारी,
जगह नहीं हे ,
तुम्हें आगे जाना है ,
रास्ता तो दीखता नहीं आगे जाऊँ कैसे ,
जगह नहीं हे ,
तुम्हें आगे जाना है ,
रास्ता तो दीखता नहीं आगे जाऊँ कैसे ,
कोई साथी नहीं आगे जाऊँ केसे,
इतना ही कहा था कि,
उजाला हो गया,
एक मेरे आगे एक राहगीर मेरे पीछे हो गया,
ये मेरे नये दोस्त थे,
जो केवल मुझे राह,
इतना ही कहा था कि,
उजाला हो गया,
एक मेरे आगे एक राहगीर मेरे पीछे हो गया,
ये मेरे नये दोस्त थे,
जो केवल मुझे राह,
दिखा रहे थे,
हर संकट झेल रहे थे,
चलते-चलते लालिमा सी दिखने लगी थी ,
दोनों ने कहा अब हम जाते हें,
मैं उन्हें रोकता इससे पहले सूरज निकल आया था,
पर ये क्या में फिर नये जोश से भर गया था,
फिर वही मुस्कान भी दिखने लगी थी,
यही तो जीवन है चलते रहो ,
रौशनी तो अपने आप हो जाएगी,
हर संकट झेल रहे थे,
चलते-चलते लालिमा सी दिखने लगी थी ,
दोनों ने कहा अब हम जाते हें,
मैं उन्हें रोकता इससे पहले सूरज निकल आया था,
पर ये क्या में फिर नये जोश से भर गया था,
फिर वही मुस्कान भी दिखने लगी थी,
यही तो जीवन है चलते रहो ,
रौशनी तो अपने आप हो जाएगी,
मुस्कान अपने आप दिखने लग जायेगी
अकेलापन ही तुम्हारी जिन्दगी कि सबसे बड़ी खुशी बन जाएगी,
अकेलापन ही तुम्हारी जिन्दगी कि सबसे बड़ी खुशी बन जाएगी,
यही तो जीवन है चलते रहो
यही तो सत्य है .|
यही तो सत्य है .|
पता है अब तक मैं चार कोस चल चुका था,
एक जीवन जी चुका था,
अब नया जीवन लेने जा रहा था ,
मैं था अकेला ,
अकेला ही चला जा रहा था,
अकेला ही चला जा रहा था,|||एक जीवन जी चुका था,
अब नया जीवन लेने जा रहा था ,
मैं था अकेला ,
अकेला ही चला जा रहा था,
अनिरुद्ध सिंह चौहान
15 comments:
बहुत अच्छी रचना. जारी रहें. शुभकामनाएं.
यही तो जीवन है चलते रहो ,
रौशनी तो अपने आप हो जाएगी,
मुस्कान अपने आप दिखने लग जायेगी
अकेलापन ही तुम्हारी जिन्दगी कि सबसे बड़ी खुशी बन जाएगी.........
waakai yahi satya hai aur badi achhi shuruaat hai
Shayad ham sabhi akelehi jeete rehte hain...andarse kahin tanha, tanha...
Swagat hai..!
हिंदी लिखाडियों की दुनिया में आपका स्वागत।खूब लिखे। बढ़ियां लिखे। शुभकामनाएं।
कृपया सैटिंग में जाकर बर्ड वैरिफकिशन हटा दें। टिप्पणी करते ये परेशानी पैदा करता है।
ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं… इसी तरह खूब अच्छा लिखें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में बाधा न आये… धन्यवाद्।
सुंदर रचना
इंसान अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है
ब्लॉग की दुनिया में शुभागमन। आशा है आपकी रचनाएं लम्बे समय तक पढने को मिलेगी।
बहुत सुंदर लेख...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
hai...acchi hai bhyi.....theek hai likhte jaao...naam kamaao...aur kyaa..........haan.....!!
बहुत ही सुन्दर ॥। हार्दिक मगलकामना॥
हे प्रभु यह तेरापन्थ पर विजिट करे॥
कलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
accha likha hai.....
bahut badiya sundar satik aur satya bhav....
prakat kiye hain aapne ...akshaya-mann(vandana shabdon ki)
आय गज़ब, बिटवा थारी मूंछें असली हैं या नकली !!
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.
मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.
शुभकामनाएं !
ब्लॉग्स पण्डित - ( आओ सीखें ब्लॉग बनाना, सजाना और ब्लॉग से कमाना )
हिन्दी ब्लॉग जगत में प्रवेश करने पर आप बधाई के पात्र हैं / आशा है की आप किसी न किसी रूप में मातृभाषा हिन्दी की श्री-वृद्धि में अपना योगदान करते रहेंगे!!!
इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए!!!!
स्वागतम्!
लिखिए, खूब लिखिए!!!!!
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
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